राष्ट्रहित में विवेचना

पूर्व इतिहास में धार्मिक आधार पर राष्ट्र की मांग से भी नहीं सुधरे है लोग...अब लगने लगा है कि दलिस्तान, खालिस्तान, हिंदुस्तान और एक नया पाकिस्तान बनवाकर ही मानेंगे..!!

#1906 #मुस्लिमलीग
#1915 #हिन्दू_महासभा
#1940 #खालिस्तान_किताब
#2006 #दलिस्तान_वेबसाइट

ये चार प्रमुख बिंदु है हैश टैग में जिसे आप गूगल के माध्यम से खोज सकते है और समझ भी सकते है कि अपना देश भारत कैसे गुलामी की ओर फिर से बढ़ता जा रहा है..!!

सत्यता तो ये है धार्मिक उन्माद से भी खतरनाक है जातीय उन्माद..!!
भारत की राजनीतिक दृष्टिकोण से..!!
राजनीति का मतलब ही होता है राज करना,
उसके लिए आपको ग़ुलाम बनाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा..!!
धर्म, जाति, सम्प्रदाय, रंग, लिंग भेद के नाम पर बांटना इतिहास में उल्लेखनीय है उसके बाद भी आपकी आंखों पर पट्टी बंधी है, और आप ये साबित करने के लिए कि आपका वाला धर्म या आपकी वाली जाति ने ही सत्कर्म किये बाकी सब का विरोध करना सही है तो यही राजनीति का विषय ही है..!! और इसे ही राजनीति कहते है..!!

और आप करिये..!!
करिये क्योंकि गुलाम तो आप है ही, अपनी तुच्छ मानसिकता के..!!

और हां हमसे जरा दूर से ही रहिएगा क्योंकि आजकल क्रोध और प्रेम दोनों उच्च स्तर में प्रवाहित है हमारी रगों में..!!

देश और समाज के प्रति प्रेम में यदि शस्त्र उठाना भी पड़ा तो हम पीछे नहीं हटेंगे..!!

और हमारा पहला शस्त्र हमारी कलम है...इससे नहीं समझियेगा तो दूसरा शस्त्र भी चलाना हमें आता है..!!

शुरुआत आपको करनी होगी प्रेम की आपसी भाईचारे की..अब आप कहेंगे हमने तो हमेशा से की है..हमने तो भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भी मुसलमानों को यहां रहने दिया है...तो जिन लोगों ने रहने दिया है उन लोगों को तो आज भी दिक्कत नहीं है..!!

दिक्कत तो उन लोगों को है जिन लोगों को अपनी विचारधारा को समझ पाने में मुश्किल हो रही है..!! फिर वो चाहे हिन्दू हो, या मुसलमान..!!

अशिक्षा के चलते राजनेताओं के शिकार हो रहे ये लोग, इन्हें लगता है कि इनके चिल्लाने से इनके हिन्दू राष्ट्र, इनके मुस्लिम राष्ट्र, सिख राष्ट्र, बौद्ध राष्ट्र की परिकल्पना परिपूर्ण हो जाएगी..!!

हां तो सही लगता है इनको, क्योंकि मुस्लिम प्रतिशत 7 से बढ़कर 17% हो चुका है, सिख प्रतिशत 0.7 से बढ़कर 3.5% हो गया...बाकी धर्मो से आपको उतनी चिढ़ नहीं होती जितनी इन दोनों से आपस मे होती है..!!

तो 2 दशक के बाद अनुमानित रुप से मामला जनसंख्या वृद्धि से हो रही धार्मिक बढ़त से नहीं देखिएगा..!!

देखिएगा राजनैतिक रूप से क्योंकि राजनीति से ही देश चलता है, हम चलते है आप चलते है..!!

मुसलमान यदि 30% हो गया तो उसका हक़ मांगना और मजबूत हो जाएगा, सिख 10% हो गया तो वो भी अपना हक़ मांगने से मजबूत हो जाएगा...!!

और इन दोनों के नेता मांगते क्या है ये तो आप जानते ही है..!!

ये सब आपका घर बनवा देंगे, आपको रोजगार दे देंगे क्यों सही कहे न...!!

अखण्ड मूर्ख होते है वो लोग जो अपने कर्म पर नहीं, नेताओं के वादों के चलते अपना घर फूंक तमाशा देखते है..!!

ऐसे नेताओं की मांग सैकड़ो वर्षो से धार्मिक आधार पर बंटवारे की ही रही है और उसका कारण है धार्मिक उन्माद..!!

जिसे बढ़ावा आज के वक़्त में हिन्दू राष्ट्र की मांग करके दिया जा रहा है...!!

किसी को भी उकसाने पर कभी न कभी तो प्रतिक्रिया मिलती ही है, फिर वो चाहे कितना भी नपुसंक हो..!!

इसीलिये सनद रहे हम रहे न रहे भारत रहना चाहिए..!!
धर्म रहे न रहे, इंसान रहना चाहिए..!!

© Nikhil S Yuva


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