खुशियों की तलाश भाग 11

राजनीति बहुत प्रभावशाली होती है आपकी जिंदगी में..!!

हर किसी को यह कहना बहुत आसान होता है कि हमें बिल्कुल नहीं पसन्द राजनीति...लेकिन वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति कर रहा होता है या राजनीति का शिकार हो रहा होता है..!!

जी हाँ ऋषभ की जिंदगी को भी राजनीति ने काफ़ी प्रभावित किया है..!! और आपकी अच्छी खासी जिंदगी को नरक बनाने में भी राजनीति का प्रभाव आपको देखने को मिल जाएगा..!!

अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे सम्भव हो सकता है..?? आपको तो नेतागिरी से मतलब ही नहीं, तब कैसे राजनीति आपको या ऋषभ को प्रभावित कर रही..तो थोड़ा इत्मीनान रखिये, आज के इस भाग 11 में आपको आपकी जिंदगी में राजनीति का प्रभाव दिखाई पड़ने लगेगा..!! #खुशियों_की_तलाश #राजनीतिक_प्रभाव 

ऋषभ मासूमियत और संस्कार से परिपूर्ण अपनी जिंदगी को जीने की जदोजहद में था...ऋषभ कक्षा 6 में अपने स्कूल का मेरिट में रहने वाला छात्र जब मित्रों की श्रृंखला का निर्माण कर रहा था, तब उसकी घनिष्ठ महिला मित्र पूजा और उसके घनिष्ठ पुरुष मित्र कौशल से उसका रोज का मिलना होता था..!! शिक्षा हो या खेलकूद हर चीज़ में अव्वल ऋषभ अपने आप को सम्पूर्ण करने की ललक में हर किसी की मदद कर दिया करता था..!! चूंकि ऋषभ को खेल के दौरान लगी चोट व जन्म की बीमारी के चलते हुए ऑपरेशन की वजह से खेल को त्यागना पड़ा था..!!

एक बार की बात है...ऋषभ, कौशल और पूजा समेत सभी छात्र स्कूल में चल रही कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे..!!

अचानक कौशल की पेंसिल टूट गयी और वह पेंसिल पूजा की थी...इसके फलस्वरूप माहौल थोड़ा गमगीन हो चला था..ऋषभ ने दूसरी पेंसिल निकालकर पूजा को दे तो दी थी लेकिन खुद के सामान या खिलौनों के टूटने का दर्द आप बचपन को याद करके महसूस कर सकते है..!! उस वक़्त वही माहौल बन चुका था...कौशल के चेहरे पर भी उदासी के बादल छाए हुए थे और पूजा का रो-रोकर बुरा हाल था..!!

स्कूल खत्म हुआ, सभी अपने अपने घरों की तरफ़ बढ़ गए..!!

शाम को कोचिंग के वक़्त कौशल ने ऋषभ से मिलकर अपने दिल की बात बताई...कौशल ने कहा--

मैंने जानबूझकर पेंसिल नहीं तोड़ी थी, अचानक से टूट गयी थी, और पूजा आज मेरी वजह से बहुत रोई है...मैं उससे माफी मांगना चाहता हूं...और इतना कहकर उसने एक माफ़ी नामा पत्र ऋषभ को थमा दिया..!!

ऋषभ ने उस पत्र को खोलकर पढा उस पत्र में मार्मिकता भरी हुई थी, वही मार्मिकता तो आत्मग्लानि के वक़्त उत्पन्न हुआ करती है...ऋषभ ने उस पत्र को लपेटा और कौशल को यह कहकर वापस कर दिया कि जब पूजा इसे पढेंगी तो तुम्हे जरूर माफ़ कर देगी..!!

लेकिन कौशल ने ऋषभ को वापस वह पत्र थमा दिया...यह कहकर कि मेरी हिम्मत नहीं है इसे पूजा को देने की...तुम ही इसे दे देना और मैं कल स्कूल नहीं आऊंगा..!!

ऋषभ ने मित्रता वश उसे स्वीकार कर लिया और वादा किया कि वह सब कुछ ठीक कर देगा..!!

ऋषभ प्रतिदिन स्कूल जाने से पहले अपने बगीचों या पड़ोसी के बगीचों से गुलाब के फूल तोड़कर स्कूल ले जाया करता था..!!

यह फूल वह अपने पसंदीदा शिक्षकों को भेंट किया करता था और अपने मित्रों को भी..!!

उस दिन भी उसने कई फूल तोड़कर इकठ्ठा किये और स्कूल पहुँच गया..!!

कक्षाओं में भारी शोर गुल आपको भी याद जरूर आता होगा..जब तक शिक्षक की एंट्री नहीं हो जाती थी और गुड मॉर्निंग सर/मैडम नहीं होता था, तब तक माहौल शांत नहीं होता था..!!

1,2,3,4 कक्षाओं के बाद लंच होने का रिवाज़ बहुत पहले से चला आ रहा है, क्योंकि बच्चों को भूख लगना स्वाभाविक होता है..!!

प्रातः 7 बजे से शुरू हुई कक्षाओं में 45-45 मिनट की कक्षाओं के बाद 10 बजे लंच हुआ करता था...घण्टी बजी बच्चे उछल कूदकर ग्राउंड में भागा करते थे...लेकिन ऋषभ के स्कूल में ग्राउंड नहीं था..!! वह सभी कक्षाओं में ही बैठकर टिफ़िन खाया करते थे..!! ऋषभ शर्म के मारे टिफ़िन नहीं ले जाया करता था क्योंकि खाना खाने पर ऋषभ की मांसपेशियों के खिंचाव के चलते उसकी आँखों की पुतलियाँ गलत इशारे किया करती थी...और सभी मित्र उसका उपहास किया करते थे..!!

ऋषभ कक्षा में बैठकर अपनी किताबों को पढ़ रहा था कि अचानक उसे याद आया कि कौशल ने उसे पत्र दिया था..!!

ऋषभ ने पूजा को देखा, उस वक़्त पूजा अपनी सहेलियों के साथ टिफ़िन कर रही थी...कक्षा के वक़्त पत्र दे पाना संभव न होता इसीलिये ऋषभ ने पत्र निकालकर पूजा को दे दिया..!! लेकिन हुआ वो जिसकी किसी को आशा न थी..!!

ऋषभ के द्वारा दिये गए पत्र को पूजा ने ले तो लिया लेकिन पूजा से उसकी सहेलियों ने छीन लिया..!!

और कुछ देर बाद एक रुदन पूजा के मुख पर देखने को मिला...वह रुदन के कारण से अनजान ऋषभ पानी पीने के लिए कक्षा से बाहर था..!!

आप सोच रहे होंगे कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि पत्र देने मात्र से रुदन का माहौल बन गया..??

तो हुआ यूं था कि वह पत्र पढ़कर सुनाया गया था, पूजा को उसकी सहेलियों द्वारा..!!

और कहा गया था...I LOVE YOU POOJA

अब सोचिये कि आख़िर जिस पत्र को ऋषभ ने पढ़ा था, कौशल ने लिखा था उसमें तो ऐसा कुछ भी नहीं था सिवाय माफी नामें के...तो आख़िर ये कैसे हो गया..??

इस उथल पुथल में लंच खत्म हो गया, और स्कूल के सबसे निर्दयी शिक्षक की कक्षा का प्रारंभ हो गया...उस कक्षा में हंस पाना सबसे मुश्किल हुआ करता था क्योंकि वह शिक्षक पीटने में माहिर थे..!!

रुदन चेहरे को देखकर शिक्षक ने पूजा से पूछा...क्या हुआ तुम्हें क्यों रोने सी शक्ल बनी है..??

और फिर क्या था, माफीनामे को प्रेम पत्र बताकर ऋषभ को फसाने की जो नाकाम कोशिश की गई थी या जीवन की सबसे पहली राजनीति का शिकार जो ऋषभ हो गया था, उसका परिणाम उसे भुगतना पड़ा था..!!

ऋषभ को काफ़ी मार पड़ी थी और उसे पोस्टमास्टर की संज्ञा भी दी जाने लगी थी..!! लेकिन किसी ने भी ये न सोचा था कि ऋषभ का ऑपरेशन हुआ है और ऋषभ इन सब बातों से अनभिज्ञ है कि उस पत्र में बदलाव आखिर हुआ कैसे और वो पत्र तो कौशल का था..!!

उस पत्र को जब मांगा गया तो उस पत्र के सिर्फ चंद टुकड़े मिले और ये बताया गया कि पूजा ने उसे गुस्से में फाड़ दिया..!!

सच क्या था ऋषभ को भी नहीं पता..!

उस दिन स्कूल खत्म होने के बाद ऋषभ ने कौशल को जाकर सारी बात बताई तो कौशल के भी होश उड़ गए क्योंकि ख़तरनाक केस में वो पड़ चुका था..!!

अब माफीनामा प्रेम पत्र कैसे बना इस राजनीति को आप या मैं नहीं समझ सकते तब तक जब तक आप या हम अपने साथ हो रही राजनीति को न समझ पाए..!!

ये तो सिर्फ एक छोटा सा किस्सा था ऋषभ की जिंदगी में राजनीतिक प्रभाव का...उसके बाद भी कई बार ऋषभ के साथ राजनीति हुई...उसके पढ़ाई के दौरान भी और उसके  प्रेम जीवन मे भी..!!

ऐसी राजनीति से आपके जीवन पर प्रभाव पड़ता है या नहीं ये बात तो आप बेहतर समझ सकते है..?? 

लेकिन आपको ये समझना बहुत जरूरी है कि बिना राजनीति सीखे आप जीवन में सफ़ल नहीं हो सकते है..!!

अब आगे...ऋषभ को पीड़ा जब भी होती थी तो उसकी माँ उसकी दवा बन जाती थी, लेकिन अब उसकी माँ इस दुनिया में नहीं..!!

© Nikhil S Yuva

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