जगत प्रेम
सुनिए.....सोचिये.....समझिये.....बोलिये....!!
अपने हक़ व अधिकारों के लिए..!!
नहीं तो सब लूट जाएगा..!!
जनता का सरंक्षण ही असली राष्ट्रवाद है..!!
और वो तभी सम्भव है जब व्यापार में भी प्यार निहित होगा..!!
देश में अनेक विचारधारायें व्याप्त है,
यूं कह लीजिए कि धर्म व्याप्त है..!!
सभी को अपनी अपनी कहनी कथनी है..!!
सबकी अपनी अपनी कहानी है..!!
किसी को किसी की न तो सुननी है और न माननी है..!!
पर यकीन मानिए सब में एक ही बात लिखी है..!!
जिंदा रहने के लिए तेरी कसम,
एक मुलाकात जरूरी है सनम..!!
ये सिर्फ एड था..!!
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त..!!
किसी भी विचारधारा में कट्टरता का भावावेश नहीं,
सभी में प्रेम का चित्रण अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में पढ़ा जा सकता है..!!
ऐसे में जो कट्टरता आपको वर्षों से सुनाई या बतलाई जा रही है, वो सिर्फ उसी भावावेश को बदलने मात्र के लिए है..!!
अगर कोई भी विचारधारा कट्टरता से परिपूर्ण होगी तो उसका अंत निश्चित है...क्योंकि कट्टरता में हिंसा होना लाज़िमी है, और जहां हिंसा ने जन्म लिया वहां प्रकृति का क्षय होना तय है...वह प्रकृति जिसमें आपका जन्म है, वह प्रकृति जिससे आपका जन्म है..!!
पंचतत्वो से बना आपका शरीर इसी पंचतत्व में विलीन हो जाएगा..!!
तो मेरे प्रिय सामाजिक ताने बाने की संरचना को बुनने वाले कारीगरों...ऐसा कुछ न बुनियेगा कि आपकी अपनी बुनियाद ही कमजोर हो जाए...कि आने वाले पल में आपका नामों निशान मिट जाए..!!
और हां सबका मालिक एक है,
वो दिखाई तो नही देता, लेकिन सुनाई जरूर देता है..!!
सुनिए अपने अंतर्मन को...सब कुछ सुनाई देगा..!!
हर विचारधारा प्रेम से ही बनी है,
मानी गयी है, आगे बढ़ी है...करोड़ो लोगों तक पहुँची है..!!
तो आईये उस प्रेम को बरकरार रखते है,
हम आपके लिए इतना सोच रहे,
आप हमारे लिए थोड़ा सा सोच लीजिये...!!
हमसे एक बार मिल लीजिये,
और उससे पहले इस पोस्ट को शेयर कर दीजिए..!!
© Nikhil S Yuva
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करते है, आशा करते है कि आपको हमारे लेख पसन्द आ रहे है तो कृपया इस ब्लॉग को शेयर करें।