खुशियों की तलाश भाग 15
बिस्तर पर बीमार होकर मरने से बेहतर बिना तकलीफ के मर जाना होता है..!!
अपने घर के बुजुर्गों व समाज की हालत देखकर यह बात ऋषभ की माँ सुमन हमेशा कहा करती थी..!!
सुमन ने भी काफ़ी वक़्त बिस्तर पर बिताया था, लेकिन उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि इतना कुछ उसके साथ होने के बाद भी वो चलायमान थी, उसने हिम्मत नहीं छोड़ी थी... और कहते भी है कि जीवन इच्छा अनुरूप ही चलता है..!! जब तक जीने की इच्छा हो तब तक आप जी सकते है, आपने हिम्मत छोड़ी तो शरीर आपका साथ छोड़ देता है..!!
सुमन अस्पताल में लेटे लेटे हजारों संबंधों के ताने बाने बुन रही थी, उसके पास सिवाय उसके बेटे ऋषभ के कोई भी मौजूद नहीं था, वो अपने पति, अपने बेटे-बहु, अपनी बहनों, अपने देवरों, अपने भाईयों जैसे हर एक रिश्ते को याद कर रही थी, क्योंकि तत्कालीन कोरोनाकाल में उसने कईयों के परिवार जनों में गमी का संदेश सुना था..!!
कोरोनाकाल में मरीज का इलाज़ नाम मात्र का चल रहा था क्योंकि डॉक्टर तक को नहीं पता था कि इस बीमारी का इलाज़ क्या है..?? सरकारी तंत्र चुनाव में मस्त था, स्वास्थ्य विभाग उस तंत्र से अछूता कैसे रह सकता है, दवाएं और इलाज़ भी चुनावी वादों की तरह खोखले थे, फिर भी ऋषभ ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के बेटे से बात करके सुमन के अच्छे इलाज़ को लेकर चिंता जताई, ऋषभ के संबंध अच्छे होने की वजह से नागेंद्र भाई ने भी हर सम्भव मदद करने की बात कही, और अस्पताल में सभी को सूचना पहुँचा दी..!!
दवाएं स्टेरॉयड और फोन एंड्रॉइड दोनों सेहत के लिए हानिकारक होते है...इस बात को समझ पाना शायद ऋषभ के लिए आसान न था क्योंकि उसको तो सिर्फ माँ को ठीक करके घर ले जाना था, ऋषभ की माँ के नजदीक ही बेड पर उसके एक मित्र के पिताजी भी 6 दिनों से भर्ती थे, और अब वो ठीक भी हो गए थे..!!
इरफ़ान, ऋषभ, सौरभ व अन्य मित्र सभी पूरी रात कोरोना की वीभत्स कहानियों पर चर्चा कर रहे थे, क्योंकि सैकड़ो की संख्या में लोग मर रहे थे बिना इलाज के, और जिनका इलाज़ हो भी रहा था वो भी 90% तक काल के गाल में शमा जा रहे थे..!!
स्थितियों का अंदाजा घाट पर जल रही लाशों व दफ़्न की गई लाशों से लगाया जा सकता था जिसे तत्कालीन सरकार ने विपक्ष की साज़िश बता दिया था, यहां राजनीतिक लिखने का कोई तुक तो नहीं बनता लेकिन एक लेखक होने के नाते अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटा जा सकता, बस इतना समझ लीजिए कि सभी सरकारों ने जनता को सिर्फ उपभोक्ता बनाकर छोड़ा है..!! पैदा होने से लेकर मरने तक आपको खर्च करना होगा, टैक्स देना होगा और आप सुविधाएं मांगेंगे तो आप विपक्षी व देशद्रोही साबित कर दिए जाएंगे..!!
भयावह रात बीती, सूरज निकला, ऋषभ ने इरफ़ान के बताए अनुसार खीरा, लहसुन, दाल का पानी इत्यादि सामान घर से मंगा लिया था सुमन के लिए..!! भाप देने के लिए मशीन थी उसके पास, बाकी ऑक्सीजन लगा हुआ था..!!
हर 20 मिनट पर ऑक्सीजन बोटल का पानी खत्म हो जाया करता था, तो उसे भरने के लिए ऋषभ को स्वयं जाना पड़ता था और उसी वक़्त वो सुमन से हाल चाल ले आया करता था और ढांढस बंधाया करता था कि सब ठीक हो गया है, सुबह घर चलना है..!!
सुबह चाय बिस्किट नाश्ता करने के बाद ऋषभ ने सुमन से सोने को कहा, लेकिन सुमन सोने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन सो नहीं पा रही थी...तो ऋषभ ने मोबाइल में गाना लगाकर सुमन को दे दिया और ध्यान भटकाने को कहा..!! क्योंकि ऋषभ जानता था कि कोरोना बीमारी में सोचना आत्मघाती हो सकता है..!!
ऋषभ ने पिता से फोन पर बात की, तो वो रो रहे थे... पहले तो ऋषभ खुद रोने लगा लेकिन उसके बाद ऋषभ ने हिम्मत करके पिता को चुप कराया और ढांढस बंधाया कि जैसे पिछली बार माँ ठीक होकर अस्पताल से घर आ गयी थी, इस बार भी वो माँ को ठीक कराकर घर ले जाएगा..!!
पिता ने बताया कि शाम को चुनाव ड्यूटी खत्म होते ही वो आ जाएंगे, उसके बाद उसने अपने भाई से बात की और उसको भी जल्दी आने को बोला...भाई ने बताया शाम 4 बजे की ट्रेन है, वो भी शाम तक आ जायेगा..!!
इरफ़ान की ड्यूटी का समय ख़त्म हुआ, इरफ़ान घर जाते जाते सुमन से मिलकर गया और बोलकर गया कि आप बिलकुल ठीक है अब...एक दो दिन में डिस्चार्ज हो जाएंगी..!!
सुबह 10 बज रहे थे, ऋषभ के चाचा खाना लेकर अस्पताल पहुँच गए थे, ऋषभ ने खाना खिलाने के लिए सौरभ को अंदर भेजा क्योंकि ऋषभ चलने फिरने की स्थिति में नहीं था...उसके अंदर का कोरोना उसको भी कमजोर कर रहा था..!!
सौरभ खाना खिलाने गया तो सुमन ने ऋषभ को बुलाने को कहा, ऋषभ अंदर गया...तो सुमन को खांसी बहुत आ रही थी और उसके मुंह से खून आ रहा था..!!
यह देखकर ऋषभ ने सुमन को बताया कि सुबह जो लाल दवा पिलाई है वही दवा निकल गयी है, ये खून नहीं है...उसके बाद सुमन को पेट के बल लेटने को कहा..,क्योंकि खांसी रोकने के लिए यह एक उत्तम उपाय है..!!
कुछ देर में खांसी रुक गई, तब ऋषभ की माँ ने शौचालय जाने की इच्छा जाहिर की, ऋषभ ने वहां उपस्थित नर्स को इसकी जानकारी दी, नर्स ने बताया कि आया अभी आकर सब कर देगी..!!
यह सुनकर सुमन लेट गयी, और ऋषभ शौचालय की तरफ बढ़ा क्योंकि वो जानता था कि सुमन को कमोड की आवश्यकता है, कमर में चोट लगने की वजह से वो कमोड में ही शौच किया करती थी..!!
कमोड खोजकर ऋषभ शौचालय से बाहर निकल ही रहा था कि उसे सुमन दिखाई पड़ी वो भी बिल्कुल अकेली..!!
ऋषभ धक्क रह गया, ऋषभ ने देर न करते हुए तेज चिल्लाते हुए तुरन्त शौच करने को कहा, क्योंकि वो जानता था कि लोक लज्जा के चलते ही उसकी माँ बेड से उठकर इतना दूर चली आयी है..!! और उस वक़्त वो उसके जीवन के लिए खतरनाक था..!!
शौच करने के तुरन्त बाद वो सुमन को लेकर बेड की तरफ भागा और तुरन्त ऑक्सीजन मास्क लगाया..!!
और ऑक्सीमीटर से माप की तो ऑक्सीजन लेवल 40 के करीब पहुँच गया था, उसने सुमन को समझाने का प्रयास किया कि ये गलती वो दुबारा नहीं करेंगी क्योंकि इससे खतरा बढ़ सकता है...वही बैठकर वो उनसे बात करने लगा, थोड़ी देर में ऑक्सीजन लेवल 85 के करीब पहुँच गया तब उसकी जान में जान आयी..!!
तब तक राउंड पर डॉक्टर आ गए, उन्होंने सभी तीमारदारों को बाहर जाने का आदेश दिया...ऋषभ ने भी हालिया स्थिति बताकर डॉक्टर से जानने की कोशिश की कि कितना वक्त लगेगा..और क्या स्थिति है अभी..??
डॉक्टर ने बताया कि सब कुछ नॉर्मल है, हफ्ते भर में सब ठीक हो जाएगा..!! यह सुनकर ऋषभ बाहर अपने चाचा और छोटे भाई सौरभ के पास आ गया..!!
कुछ देर बाद ही सुमन का कॉल आया, ऋषभ को उसकी माँ ने बुलाया..!!
ऋषभ और सौरभ दोनों अंदर गए और देखा, कि सुमन को सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है, ऋषभ डॉक्टर की तरफ भागा, लौटकर आया तो देखा सुमन का पेट चल रहा था...ऋषभ बुरी तरह से घबरा गया, क्योंकि इससे पहले पीयूष के दिवगंत पिताजी का ऐसा हाल उसने देखा था..!!
तब तक डॉक्टर आ गए, डॉक्टर ने बताया कि इन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ेगा, वो आईसीयू की व्यवस्था कर रहे है जैसे ही खाली होता है वो तुरन्त शिफ्ट करेंगे..!!
ऋषभ ने सुमन को देखा, सुमन मरणासन्न की स्थिति में थी, ऋषभ ने ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल देखा तो वो --- बता रहा था...ऋषभ ने सौरभ से कहा कि सौरभ देखो न माँ ठीक है न...सौरभ ने बोला भैया, माँ ठीक है वो खांसी की वजह से बेहोश हो गयी है, परेशान न होइए सब ठीक हो जाएगा..!!
थोड़ी ही देर में आईसीयू की व्यवस्था हो गई, ऋषभ और सौरभ ने सुमन को स्ट्रेचर पर लिटाया, ऋषभ को आभास हो गया था अपनी मां को खोने का..क्योंकि ऋषभ की माँ की शरीर बहुत भारी हो गयी थी, लेकिन सौरभ के अनुसार उसने हिम्मत नहीं छोड़ी, वो स्ट्रेचर लेकर आईसीयू में भागा... वहां जीवन रक्षक दवाओं के सहारे उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया..!!
दोपहर 2 बजे तक ऋषभ के फोन पर सूचना मिली कि उसकी माँ की शरीर अब कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही..!!
ऋषभ की खुशियों की तलाश अब एक लाश बन चुकी थी..!!
ऋषभ ने सबको सूचना दी और इस अनचाही मौत का कारण हार्ट अटैक सुनकर उसे विश्वास ही नहीं हो पाया क्योंकि सुमन बहुत हिम्मती थी..!! और कोरोना ने उसकी हिम्मत तोड़ दी थी..!!
ऋषभ ने इरफान से गुहार लगाई अपनी मां को शाम तक रोक कर रखने के लिए, क्योंकि कोरोना से मृत शरीर को सील कर दिया जाता है, और उसका दाह संस्कार भी परिवार द्वारा स्वयं से नही किया जा सकता...इरफान ने कहा कि परेशान न होइए भाई, पिता और भाई के आने के बाद ही सब होगा..हम है न..!!
ऋषभ को लिख पाना अब मेरे लिए मुश्किल हो गया है...क्योंकि उस दौर के ऋषभ को मैंने महसूस किया है..!!
उसे डर लग रहा था अपने पिता व अपने भाई से...!!
उसे डर लग रहा था कि कहीं सुमन की मौत का जिम्मेदार वो तो नहीं..!!
क्योंकि अस्पताल ले जाने के लिए सबने मना किया था..!!
लेकिन अस्पताल न ले जाते तो घर पर ही घटना घटित हो जाती ये उसका और उसके डॉक्टर मित्रों का मानना था..!!
ख़ैर ईश्वर को जो मंजूर था वही हुआ, पिता शाम को 6 बजे तक आ गए, उनका दुःख सबसे बड़ा था क्योंकि उनकी जीवनसंगिनी अब उनके साथ नही थी..!!
कोरोनाकाल में हुई हर एक मौत में सबसे दुखद पल वो था जब चाहकर भी कोई गले लगकर सांत्वना नहीं दे सकता था, और न ही गमगीन परिवार के संग खड़ा हो सकता था..!!
कुछ ही अनजाने, अनकहे रिश्ते थे जिन्होंने ऐसे पलों में ग़मगीन परिवारों का साथ दिया, उन सभी को मेरा सलाम..!!
आगे ऋषभ की माँ सुमन की अंत्येष्टि और तेरहवीं का एक भाग शेष है...और उसके पश्चात ऋषभ की खुशियों की तलाश का अंतिम भाग आपके समक्ष उपन्यास रूपी एक किताब में होगा..!!
© Nikhil S Yuva
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