खुशियों की तलाश भाग 10

 जासूस तो हर इंसान में छुपा होता है बस उस जासूस के जन्म की वजह उसके जीवन में आने वाला तनाव होता है..!!

जी हां ऋषभ के अंतर्मन में भी एक जासूस छुपा बैठा था, उसने अपने बचपन में जासूसी की कहानियों को शायद देखा था, जैसे हम और आप ने व्योमकेश बक्शी या शेरलॉक होम्स को पढा है..!!

ऋषभ के मन का जासूस तब बाहर आया जब उसे पता चला कि उसकी पंडिताइन ने उसे बताया कि एक लड़का उसे तंग किया करता है...फिर क्या था ऋषभ ने उस लड़के के जांच पड़ताल के लिए अपने नेटवर्क को लगाया ठीक वैसे ही जैसे आप अपने दोस्तों से अपनी वाली के घर का पता लगवाते हो, लेकिन ऋषभ को तो अपनी वाली के घर का पता खुद लगा लिया था अब बारी थी तो उसको तंग करने वाले का पता लगाना..!!

ऋषभ रोज पंडिताइन को कोचिंग से घर छोड़ने जाया करता था...और उसी वक़्त पंडिताइन की उंगली एक शख्स की तरफ़ उठी...यह वही लड़का था जो तंग किया करता था...लेकिन आज उसने तो कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी..!! और जब कोई प्रतिक्रिया न हो तो ऋषभ ने भी एक अच्छे वैज्ञानिक की तरह क्रिया प्रतिक्रिया के नियम का पालन किया..!!

ऋषभ ने अपने मित्र जो कि पंडिताइन के घर के पास रहा करता था उसको काम पर लगा दिया...और काम तो आपको पता ही है कि कैसे किया जाता है..??

तो बस क्या था काम का परिणाम भी आ गया...पता चला कि पंडिताइन के घर के सामने एक घर था जहां वो लड़का रहा करता था..!! लेकिन एक बात और सामने आ गयी जिस पर प्रतिक्रिया थोड़ी सी रोमांचित करने वाली थी...ऋषभ के मित्र ने बताया कि मामला बाबा थोड़ा टिपिकल है...पंडिताइन के साथ ही वो लड़का जाया करता है...अब पंडिताइन ने तंग करने की बात क्यों कही, ये बात थोड़ी समझ से बाहर है..??

तो क्या सोच रहे है आप लोग वही न जो ऋषभ सोच रहा था..?? ऋषभ को लगने लगा कि वो लड़का पंडिताइन को टॉर्चर या ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रहा है तभी ऋषभ से मदद मांगी है पंडिताइन ने..!!

फिर क्या दूसरे ही दिन ऋषभ ने पंडिताइन को कोचिंग में पूछ लिया...कि अगर वो तुम्हारे घर के सामने ही रहता है तो वो तंग करके कहता क्या है..??

पंडिताइन ने जवाब दिया---- I LOVE YOU

मतलब समझे...वो लड़का पंडिताइन को प्रोपोज़ करता है..!!

तो आपको कोई दिक्कत..हमें तो नहीं है क्योंकि सामाजिक रुप से प्यार करने का अधिकार सभी को होता है..और उसकी अभिव्यक्ति का भी..!!

लेकिन ऋषभ ठहरा कक्षा 9 का छात्र, उसको कहाँ इतनी समझ थी...उसके लिए तो प्रेम सिर्फ अधिकार का विषय मात्र था..!!

तो क्या ऋषभ ने लगाया दिमाग और पंडिताइन से बुलावा भेज दिया...उस लड़के को..!!

अब आपके मन मे क्या चल रहा है, हमें नहीं पता..लेकिन ऋषभ के मन में था कि उस लड़के को बुलाकर प्रश्न करना है कि भाई जबरदस्ती किस बात की...वो लड़की हमसे प्रेम करती है तो तुम क्यों परेशान कर रहे हो..?? क्यों रोज पीछा कर रहे हो..??

बुलावा गए हुए 2 दिन हो गया लेकिन वो नहीं आया..!!

ऋषभ ने फिर से पंडिताइन से कहा कि उससे बोलो कि दुर्गा मंदिर में शाम 3 बजे कोचिंग से पहले ही आकर वो मिल लें एक बार, नहीं तो उसके बाद हम उसके घर जाकर मिल लेंगे..!!

लेकिन फिर भी नहीं आया वो..!! फिर उसी दिन शाम को ऋषभ और उसका एक मित्र शाम को टहलने निकले थे पंडिताइन की गलियों पर..और सामना हो गया...!!

पर दुःखद ये रहा कि पंडिताइन उसके साथ थी एक शॉप पे...पंडिताइन ने ऋषभ को बताया कि वो कहीं भी जाती है तो वो उसके पीछे पीछे पहुँच जाता है..!!

आप आपकी प्रेमिका आपको बताये कि कोई पीछा कर रहा तो आप क्या करेंगे जब वो पीछे नहीं साथ मे मिल जाये तो..!!

जी हां सही सोच रहे...ऋषभ ने जमकर कुटाई कर दी..इलाहाबादी भाषा मे कहे तो इतना पेल दिया कि उसके मुंह से गाली तक नहीं निकल पाई, तब ऋषभ ने कहा कि बेटा पहले ट्रेनिंग तो हमसे ले लेते, जब हम कहे कि आ जाओ मिलने तब तो आ नहीं पा रहे थे अब अच्छा भेटा गए हो..!!

फिर क्या होना था वही वर्चस्व की लड़ाई...जो आपने भी खूब लड़ी है...गैंगवार छिड़ना तो तय था...सभी के पास अपने अपनी गैंग होती है...लेकिन ऋषभ पढ़ने लिखने वाला एक जिम्नास्टिक खिलाड़ी था हर गैंग पर वो भारी पड़ने वाला था ये बात उस लड़के को नहीं पता थी..!!

साहेब सच बताये उसकी गैंग के कई लौंडो की जो सुताई हुई थी, कसम से आप होते तो तरस खाकर रुक जाते...लेकिन ऋषभ के अंदर प्रेम की ज्वाला भड़क रही थी..!!

शांति तब ही मिली जब उस गैंग में एक जानने वाले ने ऋषभ को अपना परिचय दिया और बताया कि वो भी उसके स्कूल GIC में पढ़ता है..!!

ऋषभ शांत हो गया, माहौल शांत हो गया...लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ था कि आख़िर सच क्या था उस वक़्त..?? वो जो पंडिताइन ने बताया था या वो जो अब ऋषभ के मन में चल रहा था..!!

हां कहानी के शुरू की पंक्तियों को याद कीजिये, मैंने लिखा था कि जासूसी तनाव के बाद प्रारंभ होती है...तो ऋषभ अब तनाव में रहने लगा था, और इसी तनाव के चलते वो अब पंडिताइन के साथ ज्यादा वक़्त देने लग गया था..!!

सुबह स्कूल जाते वक़्त, दोपहर में स्कूल से आते वक्त, शाम को कोचिंग आते वक्त, रात को कोचिंग से घर जाते वक्त या कह लीजिए हर वक़्त ऋषभ पंडिताइन का साया बन गया था...क्योंकि उसे डर भी था कि उसकी परछाई कहीं उससे दूर न हो जाये..!!

ये प्रेम भी बहुत ही ज़्यादा तनावपूर्ण जीवन में प्रवेश करा देता है जब आपका साथी खूबसूरत हो..!! क्योंकि खतरा हर वक़्त महसूस होता रहता है...वही ख़तरा ऋषभ के मन भी पैदा हो चुका था..!!

एक दिन ऋषभ पहुँच गया पंडिताइन के घर...वो दिन था होली का..!! होली एक ऐसा त्योहार होता है जिस दिन आप सभी अपने मित्रों के घर गुझिया पापड़ के नाम पर मुलाकात के पल सांझा कर रहे होते है..!! और रंगों से सराबोर तन को मन से लगा रहे होते है..!!

ऋषभ का मन भी पंडिताइन के रंगों में डूब चुका था...बस अब मिलन ही बाकी था...,,,लेकिन पंडिताइन के बुआ के लड़के ने ऋषभ को पहचान लिया था..!!

अरे डरिये नहीं, कुछ नहीं हुआ..!!

असल मे ऋषभ भाई थे अपने स्कूल के दिनों में...अरे वही भाई जिसके आप पैर छुआ करते है..!! और उन्ही में से एक पंडिताइन का भाई भी था...जो ऋषभ की इज्जत किया करता था..!!

वैसे इज्जत और डर में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता, क्योंकि हम जिससे डरते है उसकी भी इज्जत करते है...क्यों सही कहा न भाइयों..??

तो फिर क्या डर कह लीजिए या इज्जत, ऋषभ को जासूसी करने के लिए अपना एक खास शागिर्द मिल गया..!!

एक दिन जासूसी तरीको से पूछताछ में....अब तरीका तो हम नहीं बताएंगे क्योंकि तरीका बता देने के बाद आप भी तो फ्री में जासूस बन जाएंगे..!! वैसे जितना बता दिया है उतना भी काफ़ी होगा आपके लिये, अब आप भी पता कर सकते है कि आप वाला साथी सतही है या बस हवा में ही है..!!

तो भाई पूछताछ में पता चला कि पंडिताइन और वो एक दूसरे से स्वीकृति वाली मित्रता में है..!!

अब उस शब्द का प्रयोग तो मैं अपनी प्रयोगशाला में भी नहीं करता तो अपने लेखों में भी कैसे करूँ, बस आप समझदार है हमें पता है..!!

बस जासूसी ख़त्म... क्योंकि अब जासूसी करने का फायदा ही क्या होगा...क्योंकि अब तो रोना बाकी है न..!!

ऋषभ रोया, लेकिन फिर से एक बार उस लड़के को धोया, जिसकी वजह से वो रोया..!!

और यकीन मानिए जैसे आप हफ्ते में एक बार अपने कपड़े धुलते है वैसे ही हफ्ते में एक बार वो भी धुला करता था..!!

पर कपड़ों की रंगत जैसे उड़ जाया करती है वैसे ही उसकी व उसके प्रेम की रंगत उड़ चुकी थी..!!

कुछ दिनों बाद पता चला कि ऋषभ के कटने के बाद उस लड़के का भी कट गया..किसी बनारसी पान के चक्कर में..!!

अब आगे..जानकर क्या करिएगा...बस इतना समझ लीजिए...कि जब कभी प्रेम कीजियेगा तो आंख खुली रखियेगा और जब हो जाये तो आंखे बंद कर लीजिएगा..!!

जासूसी और शक के कीड़े की वजह से अक्सर हमने प्रेम को मरते देखा है..!!

एक और बात जासूस सब जानता है..!! और ऋषभ ने भी सोशल मीडिया और इंसानों की जासूसी करने का हुनर सीख लिया था..!!

और आज इस बात का जिक्र करने की वजह 7 जुलाई को  Sherlock Holmes के लेखक सर Arthur Conan Doyle की पुण्यतिथि है...बस उनको अपनी इस सामाजिक प्रेम से भरी हुई जासूसी से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ..!!

आगे की कहानी में आपको ऋषभ की जीवंत कहानी के भाग मिलेंगे.. ऋषभ की मौत के नज़दीक पहुँचने के कारण भी..!!

© Nikhil S Yuva

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करते है, आशा करते है कि आपको हमारे लेख पसन्द आ रहे है तो कृपया इस ब्लॉग को शेयर करें।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजनीतिक भ्रम

जगत प्रेम

जीवन जीने की आस