खुशियों की तलाश भाग 1

"सुनिए आप न बहुत अच्छे है, पर आपको हमसे भी अच्छे लोग मिल जाएंगे, मेरे पीछे अपनी तबियत न खराब कीजिये...!!"

जब ये बातें आशा से ऋषभ से कही तो ऋषभ भी अपने आपको दिलासा देकर बोला कि हमने तो हर बार जीवन में ऐसे ही शब्द सुने है कुछ नया हो आपके पास तो बताओ..!!

वास्तविकता में ऋषभ को अपने कम उम्र में ही एक लड़की से लगाव हो गया था, नाम था "क्या करोगे जानकर"..!! बस यही से शुरुआत हुई थी उसके प्यार की कहानी..कोचिंग में टीचर की तरफ कम..उसकी तरफ ध्यान ज्यादा रखता था ऋषभ, और जब टीचर ने डांटकर #standup बोला तो ऋषभ हड़बड़ाकर उठा, टीचर ने कहा कि क्या नाम है..?? तो ऋषभ ने भी बड़ी सादगी से जवाब दिया कि अभी तो सिर्फ देख रहे सर, नाम नहीं जानते..!! और कक्षा में हँसीपात्र बनकर भी सबसे ज्यादा खुश था ऋषभ, आख़िर उसके जीवन में खुशियों ने प्रवेश जो किया था..!! फिर क्या जो आप सोच रहे वही हुआ, ऋषभ ने उसको रोका कोचिंग के बाद और अपने दिल के हाल को बताया, बताया क्या वही तरीका जो आप लोग अपनाते है तीन शब्दो वाला, आख़िर ऋषभ भी ठहरा कक्षा 9 का विद्यार्थी, प्रेम शब्द के बारे में कोई अनुभव थोड़ी न था, बस ये पता था जो अच्छा लग जाये उसे #ILOVEYOU बोल दो, सो बोल दिया...!!

तो हम क्या करें- उस लड़की का जवाब आया। तुम पहले ऐसे नहीं हो जो ये सब बोले हो, लेकिन हां, पहले ऐसे हो जिसने नाम तक नहीं पूछा सीधे प्यार का इजहार कर दिया..!!

मतलब समझे...बिल्कुल सही समझे...हो गया मामला सेट..!!

प्यार की गाड़ी चल पड़ी, सॉरी साईकल चल पड़ी, ऋषभ एक गरीब घर का लड़का था तो उसके पास गाड़ी नहीं थी वो साईकल से अपने प्यार को विदा करने जाया करता था..!!

प्यार कभी आगे, कभी वो आगे क्योंकि समाज का डर हमेशा बना रहता था क्योंकि वो लड़की ठहरी पंडिताइन एकदम टिपिकल सभ्य संस्कृति वाला समाज या कह लो रूढ़िवादिता से जकड़ा हुआ समाज..!!

जातिवादिता उन दिनों चरम पर थी, गैर जाति में प्रेम करना अपराध की श्रेणी में माना जाता था जिसमें सजा सिर्फ हत्या हुआ करती थी चाहे परिवार वाले करें या प्रेमी प्रेमिका खुद ही कर ले----आत्महत्या..!!

ख़ैर बिल्कुल सामाजिक ज्ञान से अनभिज्ञ ऋषभ हीरो स्टाइल में अपने प्यार को संजोते हुए आगे बढ़ रहा था...9,10,11 सब बीत रहा था, वर्ष 2021 के बच्चों की तरह वो भी प्यार मे बिना किसी परीक्षा के प्रोमोट हो रहा था..!!

अचानक एंट्री एक ऐसे प्राणी की हुई जिसे सौतन के नाम से जाना जाता रहा है...और चंद दिनों में पंडिताइन ने प्यार के पंक्षी को उड़ा दिया मतलब ऋषभ को भुला दिया..!!

मगर ऋषभ ने इलाहाबादी होने का परिचय देते हुए सौतन को बर्तन की तरह मांज दिया, पर उस लड़की के चरित्र को पहचान नहीं पाया क्योंकि अंधा प्यार उस वक़्त भी हुआ करता था..!!

बारहवीं की पढ़ाई के दौरान अपने ऐसे फैसलों के चलते ऋषभ को गणितीय ज्ञान के बदले वैज्ञानिक ज्ञान पर भरोसा हो चला था...और उसने हर संभव आविष्कार करने के प्रयास किए, अपने प्यार को पाने के पर असफ़लता ही हाथ लगती रही..!

कारण उसका उसके प्रयास करने के तरीकों का था, ऋषभ भाई एक लड़की का सहारा लेकर प्यार की नैया को पार कर रहे थे, और वो लड़की ऋषभ भाई की नैया को पार लगाने की जगह दूसरे किनारे की ओर ले जा रही थी..!!,

तो समझ तो गए होंगे आप लोग कहानी का #twist 

ऋषभ भाई बारहवीं में #Top कर गए...पहले प्यार में फेल हो गए लेकिन परिणामस्वरूप उन्हें प्यार करने वाली #नैना मिल गई..!!

अब आगे अगले लेख में,

थोड़ा इंतज़ार मेरे लिए नहीं ऋषभ की जिंदगी के लिए ही सही क्योंकि हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में..!!

© Nikhil S Yuva

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