व्यापार नहीं प्यार
देश व्यापार से नहीं प्यार से महान बनेगा..!!
भय, लालच, क्रोध की वजह से आज समाज जातियों, धर्मो, क्षेत्रो, लिंगो के भेदभाव में अलग होता जा रहा है...!!
इसका दुष्परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि न तो आप स्वयं खुश है और न ही समाज खुश है..!!
यदि आपको स्वयं को खुश रखना है और अपने जीवन के असली मूल्य को पहचानना है..!!
आप सभी के जीवन को खुशियों से भरने के लिए ही राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संगठन का निर्माण हुआ है..!!
जो कि पूर्णतया निःशुल्क है..जहां सिर्फ प्यार बांटा जाता है...किसी भी इंसान को व्यापार की दृष्टिकोण से नहीं देखा जाता है..!!
क्योंकि हमारा देश भारत अपनी संस्कृति व संस्कार से महान बना है न कि किसी व्यापार से..!!
#NSSUI सन्गठन दलाली नहीं करता..!!
इसीलिये दलालों को अच्छी शिक्षा देने का भरसक प्रयास करता है..!!
जीवन में पैसे कमाने का लक्ष्य सभी का है और उस पैसे से खरीदी जाते है सामान और उस सामान से मिलता है सुख..!!
लेकिन उन सभी की सीमाओं से बढ़कर जिनकी इच्छा बढ़ती जाती है वह है आपकी लालसा..!!
आप सभी के साईकल के बाद बाइक, फिर कार, फिर और बड़ी कार के सपने होते है...खाने और पहनने में भी आपके सपने होते है.!!
लेकिन क्या आपको पता है कि जीवन मे इन सब के बाद भी एक सुख होता है जो होता है मानसिक सुख..। और वो मिलता है आपको आपके परिवार और आपके समाज से..वो कभी आप छोटे बच्चे से प्राप्त करते है, कभी अपने प्रेमी/प्रेमिका से, कभी अपने दोस्त से, कभी संगीत से, कभी टेजीविजन से, कभी परिवार से या कभी किसी की सहायता करके.!!
क्या किसी भी मानसिक सुख के लिए आपको पैसे खर्च करने पड़े तब आप पाएंगे कि बिल्कुल भी नहीं..अब मानसिक सुख निःशुल्क प्राप्त करते है...और जिनके मन मे लालसा उत्पन्न हो रही होती है उनका मन अस्थिर होता है वह मानसिक सुख प्राप्त ही नही कर पाता और अंतगत्व वह सुशांत सिंह राजपूत या अन्य किसी भी आत्महत्या को आप जानने की कोशिश करेंगे तो आप पाएंगे कि जीवन मे सब कुछ पाने के बाद भी यदि मानसिक सुख नहीं मिला तो आप जीवन को नष्ट कर लेते है..!!
तो मेरे प्रिय परिवार के सदस्यों, आप सभी को मैं जो बताना या समझाना चाहता हूं। वह यह है कि जीवन को सफल बनाने के लिये मानसिक सुख को खोजने की आवश्यकता है..और जिस दिन आपने मानसिक सुख को खोज लिया उस दिन आप इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जायेगें..!!
किसी भी कार्य को #LLL फार्मूला ( लगातार लगन से लगे रहिये )फॉर्मूले से करिये... निश्चित ही सफल होंगे... जीवन के सभी सफल लोग इसी रास्ते पर चले है.!!
अपने जीवन की बहुमूल्यता को समझने के लिए अपने जीवन मे एकाग्रता को अपनाए..!!
अपनी प्रतिभा को दूसरों को सिखाये और आगे बढ़ें..सफलता निश्चित रुप से कदम चूमेगी..!!
महात्मा गांधी जी ने भी जब देश को अंहिसा और प्यार त्याग समर्पण की सीख दी थी तो लोगो ने उनका साथ नहीं दिया था...आज़ाद जी ने भी जब देश के लिए हथियार उठाया था तो लोगो ने उनका साथ नहीं दिया था...और यही हाल भगत सिंह जी के विचारों के साथ भी हुआ..!!
देश मे सभी की विचारधारा एक नहीं हो सकती परन्तु लक्ष्य सभी का एक होता है वह है मानसिक खुशी...!!
कोई चंद पैसों में खुश है, कोई ज्यादा पैसों में और कोई समाज सेवा में..!!
फर्क सिर्फ इतना है कि आप मर मरके पैसा कमाते है और एक दिन मर जाते है..न तो आपकी कोई पहचान होती है और न ही अस्तित्व... मरने के भी लोग सुनाकर चले जाते है..!!
लेकिन जो लोग समाज के लिए कर जाते वो हर इंसान के दिल दिमाग मे स्थान बनाकर चले जाते है..!!
कर्म कीजिये फल की इच्छा मत कीजिये..!!
यह सिर्फ लेख नहीं है इसे जीवन मे उतारिये..!!
किसी की सहायता सहायता लेने के उद्देश्य से मत कीजिये..!!
नेकी कर दरिया में डाल शब्दो को चरितार्थ कीजिये..!!
जरूर सफल होंगे खुश होंगे करके देखिए..!!
आज जाईये अपने पड़ोसी के घर और उससे उसका हाल चाल लीजिये..पूछिये उसकी समस्याओं को और उसका हल निकालने के लिए उसकी मदद करने का भरोसा जताइए... यकीन मानिए उसे जो प्रसन्नता मिलेगी उसी के दम पर वह अपनी परेशानियों को दूर कर लेगा यह महसूस करके कि उसका पड़ोसी उसके साथ है.!!
एक बार करके देखिए..!!
यह आपके जीवन का पहला टास्क होगा हमारे द्वारा..!!
अपने अंदर से सभी भावों को खत्म कीजिये सिर्फ एक भाव को जगाए और प्यार देकर आईये अपने पड़ोसी सिर्फ अपने शब्दों के माध्यम से..!!
जाईये आज शाम को..!!
और उससे उसका हाल चाल लीजिये चाहे वो कोई भी हो..ठान लीजिये कि पड़ोसी को सुरक्षित करना है..!!
और यदि हर एक व्यक्ति ने यह ठान लिया तो यह पूरा देश पूरा समाज खुशहाल हो जाएगा..कभी किसी को परेशानी नही होगी..!!
करके देखिए और जो भी मन मे भाव उत्पन्न हो वह मुझे निजी संदेश भेज कर बताये..!!
विनती है आपसे..थोड़ा सा वक़्त अपनी खुशियों के लिए निकालिए..!! पैसे तो जीवन मे बहुत कमा लेंगे..!!
नर हो तो निराशा कैसी??
हाव -भाव पर संयम कितना आवश्यक है इसकी कल्पना मात्र से कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है।।
व्यक्ति अपने आप पर नियंत्रण न रख पाए तो समाज के संचालन मे क्या भूमिका अदा कर सकेगा??
यह व्यक्ति विशेष के लिए नही अपितु उन सभी के लिए है जो बातों का खम ऊँचा बांधते है।।
कार्य के वक्त वो खुद को निरष ,आशाहीन,असमर्थ व असंयमित हो असमंजस की स्थिति में महसूस करते है।।
बहुधा ऐसा प्रतीत होता है कि संसार मे क्या कर रहा हूँ?? मै नही कर सकता?? अब मै हार चुका हूँ?? मुझसे नही हो पाएगा?? मै अपने विचारों के विपरीत चल रहा हूँ?? समयसारिणी बना बना कर थक गया हूँ उसके अनुकूल नहीं हूँ?? इत्यादि।।
इन सभी झझावतों से गुजरता हर छात्र समय के साथ -साथ अपने स्वस्थ मस्तिष्क को भी व्यर्थ कर देता है।। जिससे सिवाय खाली हाथ मसलने के कुछ भी शेष नही रह जाता।।
इस समस्या का समाधान स्वयं में ही है।।
बार -बार ऐसी ऊथल -पुथल से खुद को दूर करिए।।
अपनी सहायता स्वयं करिए।।
जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही हैं उस पर ध्यान दीजिए।।
जब तक हम कार्य शुरू नही करते है तब तक ऐसे निगेटिव विचार घर बनाए जम जाते है।।
इन्हे उखाड़ फेकने के लिए ज्यादा वक्त न दे पा रहे हो तो भी एक घंटे अवश्य दीजिए।।
अब ये न कहिएगा कि आपके पास अध्ययन के लिए प्रतिदिन एक घंटे भी नही है।।
ऐसा करिए इच्छा इससे ज्यादा करने की जागृत होगी।।
विश्वास मानिए निराशा मे बिताए 24 घंटे आपके 1 घंटे का आनंद (दोनो की तुलना )मस्तिष्क व स्वस्थ प्रसन्नचित्त हो सकता है।।
निश्चित ही प्रयास करिए फिर प्रहार करिए।।
एक बार ऐसे शेर को देखिए जो हार न माना हो संघर्ष रत हो।।
जिसने नाकमायबी हमेशा देखी है।।
पर मै उसे सेल्यूट करता हूँ।।
नमन करता हूँ ऐसे शेरों को जो इस युग की भीड़ मे भीड़े हुए है सफलता अर्जित करने के लिए।।
ऐसे अध्ययनशील युवक-युवतियों को मेरा प्रणाम।।
आप सबके जज्बे को मेरा सलाम।।
प्रेरणा लीजिए किसी विशेष को अपना आदर्श मानिए देखिए निराशा जैसा कीड़ा मर जाएगा।।
विश्वास करिए सफल आप ही होंगे।।
नर हो न निराश करो मन को।।
पहले काम तो करो।।
फल की चिंता क्यो??
एवं किसके लिए??
© Nikhil S Yuva
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