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खुशियों की तलाश भाग 7

ऋषभ मन लगाकर पढ़ाई करने लगा था क्योंकि उसे यह पता चल चुका था कि खेल से अब वह देशहित में कार्य नहीं कर सकता, उसने कम समय में ही स्वास्थ्य को ठीक कर लिया था और उसकी हिम्मत की मिसाल हमेशा उसकी माँ पड़ोसियों व अपने परिजनों को बताया करती थी..!! ऋषभ को बचपन में ही दो दरवाजों के बीच उंगलियों के ऊपर पड़ने वाले दबाव पर न रोते देखकर ही उसकी माँ ने एहसास कर लिया था कि जीवन में कोई भी दबाव ऋषभ को कमजोर नहीं कर सकेगा..!! और हुआ भी कुछ ऐसा ही, उम्र के 10वें भाग में ही उसने शरीर के उस अंग का ऑपरेशन बिना किसी डर के करवाया, जिस अंग में छुअन मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते है..!! इन सबसे निपटकर ऋषभ अब पढ़ने लगा था, उसी वक़्त उसके साथियों के रूप में उसे कुछ ऐसे दोस्त भी मिले, जिन्होंने ऋषभ का कभी मजाक नहीं बनाया..!!  ऋषभ के नाट्य रूपांतरण की कला को पहचानने वाले उसके गुरुजन भी उससे प्रभावित हुआ करते थे, ऋषभ को नृत्य, कला, गायन, लेखन इन सभी विद्याओं में कम उम्र में ही अद्भुत ज्ञान प्राप्त था..!! ऋषभ का एक नाट्य मंचन में 'दूल्हा बिकता है' की कहानी आज भी प्रासंगिक है..!! नाटक के नाम से आपको एहसास हो गया होगा ...

खुशियों की तलाश भाग 6

व्यक्ति विशेष कथाएं व कहानियां आपने बहुत सी पढ़ी होंगी पर इस कहानी में आपको अपना एहसास होता होगा, अगर नहीं होता तो अब हो जाएगा..!! जी हाँ ऋषभ भी आप जैसा ही है, उसके भी दो आंख, एक नाक, दो कान, एक मस्तिष्क और एक शरीर है..!! बस अंतर इतना सा है कि वो खुशियों की तलाश में आप जैसा भाग नहीं सकता, क्योंकि उसको शारीरिक रूप से एक कमजोरी जन्म के वक़्त से ही प्राप्त है, जिसे यदि ऋषभ के माँ पिता के द्वारा समय रहते जाँच लिया गया होता तो शायद ऋषभ #खुशियों_की_तलाश में भाग दौड़ कर लेता..!!  ऋषभ कमजोर सिर्फ शरीर से था, उसका मस्तिष्क उसके हिसाब से पूर्णतया स्वस्थ था, मेरे हिसाब से तो नहीं क्योंकि उसको कक्षा 9 में हुए प्यार की तुलना में तो कक्षा 6 में हुई दोस्ती ज्यादा याद रखनी चाहिए थी, क्योंकि कक्षा 6 में उसकी दोस्ती जब पूजा से हुई थी तो जलनखोरों की संख्या ज्यादा थी और उसे तो पता भी न था कि लोगों की लाइन लग रखी है उसकी दोस्ती को कमजोर करने के लिए, तभी न मैं कह रहा कि ऋषभ के पास दिमाग था ही नहीं..!! अब आप लोग कहोगे कि ऋषभ दिल से सोचता था, तो भाइयों दिल से कैसे सोचा जा सकता है...इसके बारे में कभी खुद दिमा...

खुशियों की तलाश भाग 5

वक़्त आता नहीं, वक़्त बनाना पड़ता है..!! यह पढ़कर कितनी ऊर्जा मिलती है न, बस ऊर्जा ही है बाकी कुछ नहीं..!! ऋषभ सोच रहा कि जिंदगी में #खुशियों_की_तलाश शुरू की तो न जाने कितने दुःखों के पहाड़ टूट पड़े, जिनको दूर करना तो दूर भूला पाना भी मुश्किल हो चला..!! पढ़ने की उम्र में प्यार की पहली दस्तक ने जीवन में पढ़ाई के अलावा और भी चाहतों के पन्नों को पढ़ने पर मजबूर कर दिया..!! उसमें पंडिताइन ने साथ न दिया तो पढ़ाई भी मानो रूठ सी गयी, जिस गणित के विद्यार्थी को जीव विज्ञान में रुचि हो चली थी प्यार की वजह से, वो न तो डॉक्टर बन पाया और न ही गणितज्ञ बन पाया..!! इंटरमीडियट तो पास हो गया पर लव के इंटरवल के बाद उसकी हीरोइन बदल गयी, और उसकी तकदीर भी..!! पहले दोस्ती और फिर प्यार के चक्कर में पड़ने वाला ऋषभ कोई पहला लड़का नहीं है इस दुनिया का, जिसे कम उम्र में यह सब हुआ, आपको भी हुआ था..!! आपके साथ ये सब बिता हो न या न बीता हो पर हुआ जरूर था, और आपकी पढ़ाई में कम, इश्क़ में विश्वास ज्यादा था क्योंकि खुशियाँ ज्यादा से ज्यादा बटोरने का मन हर किसी को करता है..!! ऋषभ ने भी अपनी जिंदगी में खुशियों को बटोरने का हर संभव प्रय...

खुशियों की तलाश भाग 4

मेरे घर वाले शादी का दबाव बना रहे है ऋषभ, कुछ करिये नहीं तो मेरे घर वाले मेरी शादी किसी और से करा देंगे..!!आपमें से कितनों के साथ ये हो चुका होगा,लेकिन क्या कभी आशा ने सोचा कि ऋषभ के भी तो घर वाले होंगे.? जी हाँ उसी कहानी का हिस्सा है ये, जिसकी शुरुआत ऋषभ ने की थी---- #खुशियो_की_तलाश  मोहब्बत के हर पायदान पर ख़तरा क्यों मंडरा रहा होता है..?? क्यों हर कोई अपनी मोहब्बत को पाने में किसी अनजान से डर से लड़ रहा होता है..?? आख़िर क्यों आपकी जिंदगी में जिन पलों से खुशियां मिल रही होती है उन पलों को पलभर भी नहीं लगते बदलने में..?? ऐसे कई सवाल ऋषभ के जहन में उतर रहे होंगे, जब आशा के मन की आस ने उसे टटोलने की कोशिश की, आशा न चाहते हुए भी ऐसे प्रश्न कर रही थी क्योंकि आशा को अब तक उसकी पत्नी का दर्जा नहीं मिल पाया और उसके घर वालों ने उसकी शादी के लिए लड़के खोजने भी शुरू कर दिए...!! ऋषभ ने उस प्रश्न के उत्तर को बड़ी सहजता से दिया पर उसे समझ पाना किसी भी लड़की के लिए सम्भव नहीं होता---- ऋषभ ने कहा कि हमने तो अपने घर पर जिद करके तुम्हे पाने की हर सम्भव कोशिश कर ली है और अब तुम्हें भी अपने घर में जिद कर...

खुशियों की तलाश भाग 3

#advertisement  सुनिये कहानी फलों के राजा आम की..!! लंगडा आम का नाम पहले तगड़ा आम था..। उसका नाम लंगड़ा आम कैसे पड़ा उसके पीछे एक कहानी है... दशहरी के पापा ने दशहरी का रिश्ता चौसा आम के साथ तय कर दिया था।  लेकिन तगडा उसे चाहता था।  वो रोज दशहरी के गली का चक्कर लगाने आ जाता था। एक दिन वो दशहरी को प्रपोज करने गया और चौसा ने उसे पकड़कर कूट दिया और तगड़ा आम का एक पैर टूट गया तब से उसका नाम लंगड़ा आम पड़ गया..🤣🤣🤣 #Promoted by WhatsApp  #sponsored by राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संगठन  इन सबके प्रायोजक है Nikhil S Yuva अब आगे...आशा ने तो ऋषभ को प्यार न करने के बजाय प्यार करने की वजह दे दी थी अपनी वो शब्दों से जिसमें बेपनाह परवाह छुपी हुई थी..!! आशा ने ऋषभ से यह भी कहा कि वह किसी और से बातें करती है और उसके घर वालों ने उसके लिये हां भी कर दी है, पर ऋषभ को उसकी बातों पर विश्वास न हुआ, उसने अपने दोस्त से इस बात की जिक्र किया तो उसने बताया कि पापा के दोस्त तो है लेकिन उनसे दीदी की बात हुई है कुछ इसके विषय में बहुत ख़ास जानकारी नहीं है, यह सुनकर ऋषभ के जीवन में एक बार फिर स...

खुशियों की तलाश भाग 2

#नैना तुमने ये क्यों किया यार..?? तुम्हें तो पता है न कि मैं कितना चाहता हूं पंडिताइन को..!! इसी चाहत ने तो मुझे पागल बना दिया तुम्हारा- नैना ने ऋषभ से कहा...मतलब समझें हो गया है तुझको तो प्यार सजना, प्यार करना ही पड़ेगा अब न कर पाओगे इंकार सजना..!! हांजी तो उड़ान भरने को तैयार ऋषभ-नैना की जोड़ी...पर जानते तो है ही कि उड़ान भरने से पहले पायलट की परमिशन और ढेर सारे रूल्स फॉलो करने पड़ते है तो यहाँ भी हुआ वही, ये नहीं करना है वो करना है, ऐसे नहीं करना है बिल्कुल ऐसे करना है..मतलब प्यार दायरों में सिमट कर रहने वाला है..और जहां प्यार सीमित वहां समझौता टाइप फीलिंग आनी तो तय थी ऋषभ को...क्योंकि ऋषभ ने तो प्यार को खुशियों की तलाश की वजह से अपनाया था..!! #Graduation के समय में ऋषभ एक अल्हड़ प्रेमी की तरह गीतों को गुनगुनाते हुए नैना को स्नातकोत्तर तक ले जाना चाहता था, उसे पूरा भरोसा हो चला था कि अब सारी रिसर्च यही पूरी होगी और निश्चित तौर पर #MBBS की डिग्री जरूर मिलेगी..!! #NSUI के पढ़ो पढ़ाई लड़ो लड़ाई नारे के साथ ऋषभ अपने प्यार की जंग में एक बेहतरीन योद्धा के तरह जीवन निर्वाह कर रहा उसे अपनी नैना को अप...

खुशियों की तलाश भाग 1

"सुनिए आप न बहुत अच्छे है, पर आपको हमसे भी अच्छे लोग मिल जाएंगे, मेरे पीछे अपनी तबियत न खराब कीजिये...!!" जब ये बातें आशा से ऋषभ से कही तो ऋषभ भी अपने आपको दिलासा देकर बोला कि हमने तो हर बार जीवन में ऐसे ही शब्द सुने है कुछ नया हो आपके पास तो बताओ..!! वास्तविकता में ऋषभ को अपने कम उम्र में ही एक लड़की से लगाव हो गया था, नाम था "क्या करोगे जानकर"..!! बस यही से शुरुआत हुई थी उसके प्यार की कहानी..कोचिंग में टीचर की तरफ कम..उसकी तरफ ध्यान ज्यादा रखता था ऋषभ, और जब टीचर ने डांटकर #standup बोला तो ऋषभ हड़बड़ाकर उठा, टीचर ने कहा कि क्या नाम है..?? तो ऋषभ ने भी बड़ी सादगी से जवाब दिया कि अभी तो सिर्फ देख रहे सर, नाम नहीं जानते..!! और कक्षा में हँसीपात्र बनकर भी सबसे ज्यादा खुश था ऋषभ, आख़िर उसके जीवन में खुशियों ने प्रवेश जो किया था..!! फिर क्या जो आप सोच रहे वही हुआ, ऋषभ ने उसको रोका कोचिंग के बाद और अपने दिल के हाल को बताया, बताया क्या वही तरीका जो आप लोग अपनाते है तीन शब्दो वाला, आख़िर ऋषभ भी ठहरा कक्षा 9 का विद्यार्थी, प्रेम शब्द के बारे में कोई अनुभव थोड़ी न था, बस ये पता था ...