संदेश

पुरुष यानी पौरुष

 #InternationalMensDay #पुरुष #दिवस  पुरुष मतलब पौरुष..!! पौरुष मतलब ताक़त..!! वह ताक़त नहीं जिससे वो लड़ाई कर सके..!! वह ताकत जो उसे दुःख सहने में मदद कर सके..!! जी हाँ आज विश्व पुरुष दिवस है, जिसकी बधाई देते हुए यदि कोई महिला दिख जाए तो उसको सम्मान देना न भूलिएगा क्योंकि ये समाज पुरुष प्रधान समाज है, क्यों मातृ शक्तियों ठीक कहाँ न..?? पुरूष महिलाओं को लेकर काफ़ी चिंतित दिखाई देता है, जन्म से लेकर अपनी मां के लिए चिंतित, समझदार होने पर अपनी बहनों के लिए चिंतित, युवा होने पर अपनी पत्नी/प्रेमिका/प्रेयसी के लिए चिंतित, परिपक्व होने पर समाज की दशा/दिशा के लिए चिंतित..!! मतलब कि सारा चिंतन मनन का सम्पूर्ण भार पुरूष ने ले रखा है, और जब कभी लांछन लगाने की बारी आये तो उसका भी सारा दारोमदार उसी पुरुष का...लड़का है तो गलती उसी की होगी, छेड़ने की सारी कलाएं सिर्फ पुरुष के अंदर ही विद्यमान होती है ऐसा इस समाज ने स्वीकार कर लिया है, नशेड़ी, गंजेड़ी, लौंडियाबाज, अय्याश और न जाने कितने नामों से पुकारा जाने वाला पुरुष बड़ी ही सहजता से महिलाओं के लिए सम्मान पूर्वक हर एक त्योहार पर उनके आदर सम्मान में ...

राजनीतिक भ्रम

सामाजिकता और नैतिकता दोनों बहने एक बार फिर पीछे के दरवाजे से झांकती हुई..!! काश कोई मेरे बारे में सोचता..!! राजनीति ने दोनों बहनों को ठिकाने लगाने की पुरजोर कोशिश कर दी है..!! मणिपुर, मुर्शिदाबाद व कश्मीरियत के बाद अब जातीय जनगणना...अब नेतागण बताएंगे कि ये हमने कहां, ये हमने मांगा..!! और राजनीति ठहाका लगाते हुए दोनों बहनों को ठिकाने लगा चुकी होगी..!! कौन है ये राजनीति, कहां से आती है और कितना प्रभाव डालती है..!! ये सब जानने के लिए आपको सोचना होगा और आप सोचें उससे पहले राजनीति के बड़े बेटे मीडिया द्वारा आपको भ्रमित कर दिया जाएगा, हो सकता है कि आपके पास बड़ा बेटा न पहुंच पाया तो छोटा बेटा मोबाइल तो पहुंच ही जाएगा और सोशल मीडिया जैसे दोस्तों की फौज आपकी कराएगी मौज..!! क्या हुआ कुछ सोच नहीं पाए न, ऐसा ही होता आ रहा है कई वर्षों से और अब तो इतना हावी हो चुका है कि आपको ये पढ़ने में अच्छा लगेगा, ओढ़ने में भी अच्छा लगेगा..!! पर सच सुनिए, कोढ़ है ये राजनीति...जिस जिस को इसने निशाना बनाया उसको खत्म कर डाला फिर चाहे उसका खुद का परिवार ही क्यों न हो..!! वक्त हो चला है दोनों बहनों से मिल...

जगत प्रेम

 सुनिए.....सोचिये.....समझिये.....बोलिये....!! अपने हक़ व अधिकारों के लिए..!! नहीं तो सब लूट जाएगा..!! जनता का सरंक्षण ही असली राष्ट्रवाद है..!! और वो तभी सम्भव है जब व्यापार में भी प्यार निहित होगा..!! देश में अनेक विचारधारायें व्याप्त है, यूं कह लीजिए कि धर्म व्याप्त है..!! सभी को अपनी अपनी कहनी कथनी है..!! सबकी अपनी अपनी कहानी है..!! किसी को किसी की न तो सुननी है और न माननी है..!! पर यकीन मानिए सब में एक ही बात लिखी है..!! जिंदा रहने के लिए तेरी कसम, एक मुलाकात जरूरी है सनम..!! ये सिर्फ एड था..!! पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त..!! किसी भी विचारधारा में कट्टरता का भावावेश नहीं, सभी में प्रेम का चित्रण अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में पढ़ा जा सकता है..!! ऐसे में जो कट्टरता आपको वर्षों से सुनाई या बतलाई जा रही है, वो सिर्फ उसी भावावेश को बदलने मात्र के लिए है..!! अगर कोई भी विचारधारा कट्टरता से परिपूर्ण होगी तो उसका अंत निश्चित है...क्योंकि कट्टरता में हिंसा होना लाज़िमी है, और जहां हिंसा ने जन्म लिया वहां प्रकृति का क्षय होना तय है...वह प्रकृति जिसमें आपका जन्म है, वह प्रकृति जिससे आपक...

जीवन जीने की आस

 जीवन अकेला बहुत आसान है, सामाजिक बोझ के तले बहुत मुश्किल..!! "सोचो ईश्वर हमें कैसे पालता होगा..!! हर मुश्किल वो कैसे टालता होगा..!! कोई न कोई ख़ास बात तो होगी तुममे..!! इसीलिए तो ये बोझ ईश्वर तुम पर डालता होगा..!!" मेरे प्रिय सभी मानवों, आप यदि आज किसी उलझन में तो, जरूर ईश्वर आपको सुलझाने का प्रयास कर रहा है..!! तो हिम्मत हारकर गलत राह पर नहीं जाना है..!! ईश्वर के बनाये सदमार्ग पर ही चलना है..!! वो भी रक्त की आख़िरी बून्द तक..!! © निखिल स्वतंत्र युवा

बलात्कार- एक मानसिक बीमारी

 बलात्कार कभी न ख़त्म होने वाला कुकर्म है, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी सज़ा क्यों न बना दी जाए..?? क्योंकि ये पूरा विश्व ही पुरुष प्रधान है...!! ये आज भी औरतों को सिर्फ प्रयोग की चीज़ समझता है..!! और ये मैं इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि हर रोज बलात्कार के बढ़ते मामले देख रहा हूँ..!! हर रोज अखबार के किसी न किसी पन्ने में, सोशल मीडिया के किसी लिंक में देखने को मिल जा रहा..!! क्या आपको पता है कि इस अपराध का कारण क्या है..? अगर नहीं तो ठीक है...और अगर हाँ तो आपने अब तक इसके सुधार के लिए कुछ किया क्या..?? क्या सोच रहे है..नहीं किया, क्योंकि अगर किया होता तो ये कम हो रहा होता, न कि दुगुनी तेजी से बढ़ रहा होता..!! हमने 2018 में प्रयास किया, फिर 2019 में भी प्रयास किया, उसके बाद से लगातार निरंतर प्रयास में हूँ, कि काश लोगों को समझ आ जाये कि अपराध का कारण क्या है और उसको जड़ से कैसे खत्म किया जा सकता है..?? लेकिन कौन है सुनने वाला, कौन है पढ़ने वाला..? कुछ चंद लोग जो 2018 में मेरे आहवाहन पर आए थे, उसमें से बचे कुछ लोग जो 2019 में मेरे साथ खड़े थे...और आज उनमें से बस कुछ लोग जो शायद अब परिवार में व्यस्त ...

भावुकता

 विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था... सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी... विनोद ने गाड़ी रोक कर पूछा "तरबूज की क्या रेट है बेटा? " लड़की बोली  "50 रुपये का एक तरबूज है साहब..." पीछे की सीट पर बैठी विनोद की पत्नी बोली  "इतना महंगा तरबूज नही लेना जी...चलो यहाँ से..." विनोद बोला "महंगा कहाँ है... इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो के कम का नही होगा... 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें... बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है... " विनोद की पत्नी ने कहा ''तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो...” फिर वह लड़की से बोली  "30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो..."  लड़की बोली "40 रुपये का एक तरबूज तो मै खरीद कर लाती हूँ आंटी...आप 45 रुपये का एक ले लो...इससे सस्ता मै नही दे पाऊँगी..." विनोद की पत्नी बोली "झूठ मत बोलो बेटा...सही रेट लगाओ... देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो..."  उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते...

प्रेम ही जीवन है..!!

 जब मानव बच्चा होता है तो किसी भी प्रकार के भेदभाव को नहीं जानता, वह जानता है तो सिर्फ प्रेम की बोली...और उसे जो प्यार से पुचकारता है वो बच्चा उसी के पास चला जाता है..!! समय के साथ बच्चा बड़ा होता है, हर तरीके का भेदभाव सीखता है..!! लेकिन बचपन की तरह जिस तरफ से प्रेम पाता है, उधर ही चला जाता है..!! क्योंकि मानवीय प्रकृति ही है जो अपनापन महसूस करती है ढेर सारे भेदभावों से परिपूर्ण..!! मन में ढेर सारा अविश्वास लिए जीता मानव..!! ऐसा नहीं लगता आप लोगों को, कि आप अभी जितना जानते है वो कम है..!! अभी और जानने की आवश्यकता है आपको..!! कितना समझ पाते है आप दूसरों को, खुद को..!! अगर नहीं समझ पाते तो सीखिए फिर आंकिये..!! बात बात पर खुद को या दूसरों को ग़लत ठहराने से इस मानवीय प्रकृति का ही नुकसान होगा..!! मैंने 15 सालों में हजारों केस देखें है, जहां पर मात्र एक अविश्वास से घर टूटे थे..!! मैंने देखा था, भाइयों को भाइयों के साथ लड़ते चंद ग़ज़ जमीन के लिए, सास को बहु से लड़ते, भाई को बहन से लड़ते, दोस्त को दोस्त से लड़ते, पति को पत्नी से लड़ते, अजनबी को अजनबी से लड़ते..!! आख़िर मिल क्या गया लड़कर...?? ये सवा...