खुशियों की तलाश अध्याय 2 भाग 1
यार अब तुम्हारी शादी कर दें तो जिम्मेदारी पूरी हो मेरी..!!
आप सोच रहे होंगे कि ये क्या है...मैं किसकी शादी करवाने लग गया..तो मेरी प्रिय जनता जनार्दन ये मेरे शब्द नहीं...ऋषभ के पिता के शब्द है..!!
जी हाँ वही ऋषभ जिसे आपने मेरे उपन्यास #खुशियों_के_तलाश #अध्याय_1 में पढ़ा था..!!
अब उसके जीवन के #अध्याय_2 की शुरुआत हो चुकी है...जिसका #भाग_1 लेकर आपके सामने हूँ...!!
माँ के देहांत के बाद सब कुछ बस चल रहा था...!!
ऋषभ का, पिता का, ऋषभ के भाई भाभी का..!!
मृत्यु दुःखदाई होती है सभी के जीवन में...ऋषभ सभी को यह बताया करता था कि उसकी माँ हमेशा कहा करती थी कि जीवन में सभी इच्छाओं की पूर्ति के बाद इच्छामृत्यु सम्भव है...और जब मां की लगभग सभी इच्छाएं पूर्ण हो चुकी थी सिवाय ऋषभ की शादी के तो ऐसे में...माँ का देहांत हो जाना तो काफ़ी दुखदाई था..क्योंकि ऋषभ ने माँ के सपनों के लिए ही तो आशा से प्रेम विवाह नहीं किया था..!! और अब जब विवाह की बारी आई तो माँ का आकस्मिक निधन😢
सब कुछ मानो रूठ सा गया था...फिर भी उसके पिता ने माँ की जिम्मेदारी को निभाते हुए... किचन में खाना बनाते वक्त एक दिन कहा-
यार अब तुम्हारी शादी कर दें तो जिम्मेदारी पूरी हो मेरी..!!
ऋषभ की आरती से बातचीत भी लगभग न के बराबर थी, वही आरती जिसने आशा के जाने के बाद ऋषभ का ख्याल रखा था और ऋषभ की मां के देहांत के बाद से ऋषभ से बात होना बंद हो गया था..!!
कभी कभी आरती ऋषभ को फोन करके हाल चाल ले लिया करती थी और अपना हाल भी बता दिया करती थी, ऋषभ ने पिताजी की इच्छा भी जाहिर की और विवाह के लिए प्रस्ताव भी दिया...पर जवाब में सवाल आया कि ऋषभ पापा पूछ रहे थे कि आप करते क्या है..?? और ऋषभ हम लोगों की जाति भी एक नहीं, बहुत बवाल हो जाएगा न..!!
अब सवाल से तो समझ आ ही गया होगा कि ऋषभ क्या करते थे..??
जिसको नहीं पता वो ऋषभ से प्यार कैसे कर रहा था..?? उसका ईश्वर ही मालिक है..!!
कुछ वक्त बिता था इनकार का, ऋषभ ने फिर बात करने की कोशिश की तो इस बार पुरानी लड़ाईयों के जिक्र चालू हुए और साथ में यह भी बता दिया कि मुझे कोई मिल गया है..!!
जी हां... आजकल Bluetooth और Girlfriend एक समान ही व्यवहार करती है...थोड़ी सी दूरी बढ़ी नहीं कि searching new device...!!
ख़ैर आम जनता के साथ यह व्यवहार होना आजकल आम बात है..लेकिन मेरे हिसाब से ऋषभ आम नहीं अमरूद था फिर भी उसने आरती की राजी ख़ुशी पर हामी भर दी और कह डाला कि तुम्हें जब भी कोई जरूरत हो तो फोन कर लेना हम हमेशा साथ देंगे..!!
और फिर एक आम व्यक्ति की तरह जीवनसाथी खोज में निकल पड़ा..!!
आजकल जैसे आप और हम लोग खोजते है..!!
रिश्तेदारों ने अपने अपने हिसाब से देखना चालू किया..!!
परिवार ने अपने हिसाब से...मित्रों ने अपने हिसाब से..!!
और खुद ऋषभ ने सबको जिम्मेदारी सौंप डाली कि जिसको भी खोजना सोचकर खोजना क्योंकि अगर कुछ गड़बड़ी हुई तो झेलने के लिए भी तैयार रहना..!!
तो अधिकतर तो भाग खड़े हुए...सबने उसी पर डाल दिया कि भाई आप ही बला खोजो क्योंकि बलायें लेने वाली बहुत कम ही मिलती है आजकल..!!
ऋषभ अब पढ़ाई के क्षेत्र से दूर था तो लड़कियों से मिलना तो मुश्किल ही था तो जीवनसाथी कैसे खोज पाता..??
तो सोशल मीडिया का सहारा लेना उसने उचित समझा..!!
सोशल मीडिया पर उसने अपने ही मित्र मंडली से निर्णायक मंडल तैयार कर लिया...और अपने जैसे इंसानो की खोज में लग गया..!!
और जल्द ही मिल भी गई...खुशियाँ नहीं...लड़की..!!
खुशियों की तलाश अब भी जारी है..!!
राजनीति एक अव्वल दर्जे का व्यवसाय है जो हर किसी के बस की बात नहीं और जनाब ऋषभ उसी व्यवसाय में रुचि रखते है...और आप तो जानते ही है कि नेतागिरी के वक़्त लड़की को समय दे पाना कितना मुश्किल होता है..??
तो ऋषभ भी शर्मिष्ठा को कम समय दे पाया करता था...हांजी शर्मिष्ठा ही वो ख़ास लड़की थी जिसे ऋषभ ने सोशल मीडिया के जरिये खोजा था...और वो इतनी पसन्द क्यों आयी थी वो कारण आपको इस उपन्यास के आख़िरी पन्नो में दर्ज मिलेगा..!!
दोनों में महीनों तक बात नहीं होती थी फोन पर,
क्योंकि दोनों के व्यवसाय व रोजगार प्रतिष्ठित और प्रतिस्पर्धा पूर्ण थे तो वक़्त कम था उनके पास लेकिन एक दूसरे से जब भी बात होती थी,
पूरा महीना बता डालते थे और आगे के महीनों की खुशियां भी बटोर लेते थे..!!
उनका मिलना तय हो रहा था कि उनके दुबई जाने की डेट आ गयी फिर दुबारा तय हुआ तो अचानक शर्मिष्ठा की दादी अत्यंत बीमार पड़ गयी..!! और मिलना टल गया..!!
और इसी बीच शर्मिष्ठा के विवाह के लिए लड़के की खोज उनके घर वालों ने शुरू कर दी..!!
क्योंकि दादी माँ लोगों का भी गज़ब का सपना होता है कि काश पोता/पोती की शादी देख लेते और उनके सपने के चक्कर में बच्चों के सपने अधूरे रह जाते है..!!
ऐसा सिर्फ इसी केस में नहीं हुआ है,
बचपन में माँ पिता और पूरा खानदान खेलने, कूदने, नाचने गाने के लिए पीछे पड़ा रहता है..!!
और जैसे बड़े हो जाओ यही खानदान/माँ/पिता सब उसे खेलोगे कूदोगे तो हो जाओगे ख़राब वाली शायरियां सुनाने लग जाते है..!!
इतना तो लड़को के साथ होता है..!!
लड़कियों के साथ भी ग़ज़ब ही खेल हो रहा होता है..!!
बचपन में मम्मी की साड़ी पहनना, लिपस्टिक लगाना, गुड्डे गुड़ियों की शादी करवाना जैसे खेल पर खूब मजा आती है इसी खानदान को..!!
और जब बिटिया बड़ी हो जाती है तो यही सब खानदान की सर झुकाने और नाक कटने जैसा लगने लगता है..!!
दोमुंहा समाज/दोमुंहा खानदान कहिए..!!
या बदलाव की जगह बदला लेने वाला समाज कहिए..!!
जैसा ख़ुद के साथ हुआ है वही अपनी संतान के साथ करेंगे वाले तरीको पर चल रहा है ये समाज..!!
बुरा लगे तो लगे, लेखक को भी पीड़ा होती है यार..!!
ऐसे बच्चों को तड़पता देखकर..!!
हां, नहीं तो..!!
शर्मिष्ठा और ऋषभ पहले एक दूसरे से मिलना चाहते थे फिर तय करना चाहते थे आगे के रिश्ते पर..!!
पर दादी के बिस्तर पर आ जाने से वो आस भी टूट सी रही थी..!! फिर एक दिन शर्मिष्ठा के फोन से ऋषभ की बनने वाली सरकार ही गिर गई..!!
शर्मिष्ठा ने धीमे स्वर में ऋषभ की हृदय गति धीमी कर दी..शर्मिष्ठा का विवाह तय हो चुका था...और उसपर शर्मिष्ठा ने हां भी कर दी थी..!!
हो गयी तेरी बल्ले बल्ले...हो जाएगी तेरी बल्ले बल्ले..!!
अहा...अरे शादी तय हुई है तो इस गाने पर डांस नही करोगे क्या भाइयों बहनों..??
दुःखी तो ऐसे हो रहे हो जैसे तुम्हारी वाली भाग गई हो..!!
अरे ऋषभ को तो आदत ही थी,
दुःखो के सैलाब से होकर जो गुजरे हो उनपर ये बारिश की बूंदे क्या ही प्रभाव डालेंगी..??
ऐसा ऋषभ ने मुझसे नहीं बताया, हो सकता है कि उसके दिल पर बुरी गुजरी हो कि जिसको खोजकर अपना बनाने की कोशिश की, वो कोशिश फिर नाकाम रहीं..!!
उसी बीच ऋषभ की बुआ का देहांत हो गया...बुआ का जीवन भी ऐसा बिता था जिसे ऋषभ ने काफ़ी मार्मिक तरीके से बताया था मुझे..!!
ऋषभ ने उनके जीवन को बचाने के लिए रक्तदान भी किया था, फिर भी वो उनको न बचा सका..!!
बुआ के तीन बच्चे एक बेटी 21 वर्ष, दो बेटे 18-16 वर्ष के ही थे...उनपर भी वही दुःखों का पहाड़ टूटा जो कुछ महीनों पहले ऋषभ पर टूटा था क्योंकि माँ का जाना सबसे दुखदाई होता है..!!
ऋषभ की बुआ का वृत्तान्त उनके बेटे द्वारा रचित कविता के माध्यम से अगले भाग में लिखूंगा..!!
ऋषभ काफ़ी बीमार चल रहा था कि एक दिन आरती ने फोन करके पूछा कि ऋषभ क्या तुम मुझसे शादी करोगे..??
ऋषभ ने इनकार कर दिया तो जवाब आया कि हमें पता है तुम्हें तो शर्मिष्ठा मिल गयी है..!!
अब अगले भाग में..!!
ऋषभ के खुशियों की तलाश अभी जारी है..!!
अन्य सभी भागों के लिए लिंक पर जाए..!!
https://hindi.pratilipi.com/series/%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B6-rcuklu5fpiw1?utm_source=android&utm_campaign=content_series_share
© Nikhil S Yuva
Wah bhaiya wah super ❤️❤️❤️
जवाब देंहटाएं