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उधेड़बुन

 "कई दिनों से #उधेड़बुन में हूँ..!!" जीवंत जीवन के यथार्थ को समझ पाने का साहस करते हुए क़लम को कागज़ से स्पर्श कराया था..!! जहन के एहसासों को लिखते लिखते मन में सुकून भी आया था..!! "पर कई दिनों से उधेड़बुन में हूँ..!!" वर्षों पूर्व जिस प्रतियोगिता से स्वयं को अलग कर हमने सुकून पाया था..!! वही प्रतियोगिता अब हर दिन एहसासों में, बातों में मुझे किसी ने सुनाया था..!! "इसीलिये कई दिनों से उधेड़बुन में हूँ..!!" हर चाल मेरी मेरे नाम की निशानी थी..!! जो मेरे इर्द गिर्द के हर बच्चे की जुबानी थी..!! आंदोलनकारी, क्रांतिकारी ऐसी मेरी कहानी थी..!! लिखते लिखते मैं कुछ यूं लिख गया कि पढ़ने वालों के मन में ही रुक गया...किसी ने पढ़कर जाना मुझे, किसी ने पढ़कर माना मुझे..!! "पर कई दिनों से उधेड़बुन में हूँ..!!" राजनीति जिससे मैं लोगो के दिल पर राज कर सकूं, ऐसी करनी थी मुझको..!! शिक्षानीति जिसमें व्यक्तित्व का निखार हो,  ऐसी करनी थी मुझको..!! पर लोगों को ये रास न आई क्योंकि टेक्नोलॉजी ने जीवनचक्र की गति यूं बढ़ाई, कि सबकी होने लगी कमाई..!! मैंने दी सबको बधाई...खिलाई सबको मिठा...

काल का गाल

 मैं निखिल स्वतंत्र युवा, सुमन सदन का महामंडलेश्वर, ईश्वर की शपथ लेते हुए आपको बताना चाहता हूँ.!! कि राजनीति आप सभी के साथ हो रही है..!! राजनीति को समझने के लिए किताबों का सहारा लें..!! फिर चाहे वो किताब गीता हो या कुरान हो..!!                    सामान्य ज्ञान हो या विज्ञान हो..!! हो कोई भी चालीसा या हो किसी गुरु की वाणी..!! हर किसी की होती है, अपनी अपनी कहानी..!! न सिर्फ भारत देश अपितु, पूरा विश्व इस वक़्त आर्थिक मंदी के घेरे में है..!! और उसी के मद्देनजर, राजनीति में धर्म, रंग, लिंग, जाति, सम्प्रदाय के भेद बताये जा रहे है..!! कोई देश काले गोरे का भेद बताकर लड़ा रहा, कोई देश लड़का लड़की का भेद बताकर लड़ा रहा, कोई देश यहूदी, मुस्लिम का भेद बताकर लड़ा रहा, कोई देश हिन्दू, मुस्लिम का भेद बताकर लड़ा रहा, इतना ही नहीं अब बात भाई भाई को लड़ाने तक पहुँच चुकी है...क्योंकि राजनीति में सब जायज है..!! और जानते है ये राजनीति हो क्यों रही..?? क्योंकि  न सिर्फ भारत देश अपितु, पूरा विश्व इस वक़्त आर्थिक मंदी के घेरे में है..!! और सब पैसा नहीं होगा तो...